Saturday, August 27, 2011

मानवता तू र्शमशार क्यों होते हो !!!!!

शर्म भी शर्मिंदा हैं ऐसे घृणित करतूतो से! मानव ने ही मानवता का गला घोट दिया । दानव बन गये है सब!
घटना: 20 अगस्त, शाहपुर, पृथ्वीपट्टी पंचायत। सूचना: दैनिक हिन्दुस्तान, दिनांक: 25 अगस्त 2011, पृ. सं.:13 । एक विधवा महिला अमना खातून जो प्राइमरी स्कूल मुस्लिम टोला वार्ड नम्बर- 6 में मध्याह्न भोजन बनाने का काम करती है।इस महिला को अर्द्धनग्न अवस्था में खूंटे से बांधकर बेरहमी से पिटाई करने का मामला सामने आया है। जिसकी वजह बस इतनी थी कि भोजन बनाने के एवज में स्कूल हेडमास्टर ने 18 अगस्त को मानदेय के रूप में छः हजार रूपये दिये। ग्रामीणों का आरोप है कि वह नियमित रूप से खाना बनाने नहीं आती है अतः इस राशि को मदरसा पर खर्च किया जाना चाहिए। जब अमना ने यह राशि उनके हवाले करने से इनकार किया तो आक्रोशित ग्रामीणों ने उसको अर्द्धनग्न कर खूंटे से बांधकर बेरहमी से पीटा।
क्या यह घटना मानवता को र्शमशार नहीं करती है? उसकी आत्मा को कुचल डाली है। मैं पूछती हूँ कि क्या मानवता ने हैवानियत का रूप ले लिया है!!! भीड़ इतनी आक्रोशित क्यों हैं कि छोटी- छोटी गलतियों के लिए किसी के साथ इतनी घृणित और गंभीर अपराध कर बैठती है। क्या उनकी आत्मा उन्हें नहीं धिक्कारती ?